Culture & Festivals

टिम्मरसैंण महादेव: एक पवित्र गुफा मंदिर

टिम्मरसैंण महादेव: एक पवित्र गुफा मंदिर

उत्तराखंड की खूबसूरत घाटियों में स्थित टिम्मरसैंण महादेव का मंदिर भक्तों के लिए आस्था, शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतीक है। यह गुफा मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और अपनी अनोखी प्राकृतिक संरचना के साथ-साथ धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के कारण प्रसिद्ध है।

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कौन हैं माता हिडिंबा? और क्या है उनका पांडवों से रिश्ता?

कौन हैं माता हिडिंबा? और क्या है उनका पांडवों से रिश्ता?

मनाली के पास घने देवदार के जंगलों में स्थित हिडिंबा मंदिर का ऐतिहासिक महत्व है। यह मंदिर पगोडा शैली में बना है और इसकी ऊंचाई लगभग 82 फीट है। माता हिडिंबा का संबंध महाभारत काल से माना जाता है, जहां उन्हें मां काली का स्वरूप माना गया है। कहा जाता है कि उन्होंने अपनी शक्तियों से असुरों का नाश किया और महाकाली रूप में प्रकट हुईं। उनके भक्तों में अपार आस्था है और वे उन्हें कुल्लू की आराध्य देवी मानते हैं।

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उत्तराखंड में इगास बग्वाल

आखिर क्यों मनाई जाती है उत्तराखंड में इगास बग्वाल?

उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में दिवाली के ग्यारह दिन बाद इगास बग्वाल का त्योहार मनाया जाता है। इस खास पर्व के पीछे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक कहानियाँ हैं, जो इसे अनोखा और महत्वपूर्ण बनाती हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि इगास बग्वाल क्यों मनाई जाती है और इसके पीछे कौन-कौन से कारण छिपे हैं।

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श्रीखंड महादेव

श्रीखंड महादेव: जहाँ भोलेनाथ को छिपना पड़ा भस्मासुर राक्षस से।

श्रीखंड महादेव यात्रा हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में स्थित एक पवित्र स्थल है। 18,000 फीट की ऊँचाई पर स्थित यह तीर्थस्थल हर साल हजारों भक्तों को आकर्षित करता है। इस यात्रा का विशेष महत्व भोलेनाथ के प्रति लोगों की गहरी श्रद्धा और भक्ति से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि यहाँ एक ऐसा समय आया था जब भगवान शिव को भस्मासुर राक्षस से बचने के लिए पहाड़ों की गुफाओं में छिपना पड़ा था।

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हनोल का महासू मंदिर

कौन हैं हनोल के महासू देवता?

हनोल उत्तराखंड के जौनसार-बावर क्षेत्र में स्थित एक छोटे और ऐतिहासिक गांव का नाम है, जो महासू देवता के मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। महासू देवता इस क्षेत्र के प्रमुख लोक देवता माने जाते हैं। महासू देवता की मान्यता केवल उत्तराखंड के जौनसार-बावर और हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में ही नहीं है, बल्कि हिमालयी क्षेत्रों के लोग भी इन्हें गहरी श्रद्धा से पूजते हैं।

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घंटाकर्ण: बद्रीनाथ के द्वारपाल देवता

घंटाकर्ण: बद्रीनाथ के द्वारपाल देवता

उत्तराखंड की देवभूमि अपने पौराणिक इतिहास और रहस्यमय कहानियों के लिए प्रसिद्ध है। यहां हर मंदिर और धरोहर की अपनी एक अनोखी कहानी है। इन्हीं में से एक रोचक कहानी है घंटाकर्ण या घंडियाल देवता की, जिन्हें बद्रीनाथ धाम का रक्षक माना जाता है। जैसे केदारनाथ में भैरवनाथ जी को मंदिर की रक्षा का भार दिया गया है, वैसे ही घंटाकर्ण को बद्रीनाथ धाम के द्वारपाल के रूप में पूजा जाता है।

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International Himalayan Festival – Festival of Peace

The International Himalayan Festival is one of the most beautiful events that celebrates the unique blend of culture, nature, and peace. Held in the scenic town of Mcleodganj, Himachal Pradesh, this festival brings together people from across the globe to experience the Himalayan spirit. The event showcases the traditional lifestyle, art, dance, music, and local crafts of the Himalayan region. It also promotes harmony and peace, making it a must-visit if you’re a traveler looking for something different.

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Hemis Tsechu Festival of Ladhak

The Hemis Tsechu in Ladakh is one of the most important Buddhist festivals celebrated in India, similar in spirit and significance to the Tsechu festivals in Bhutan. This vibrant festival honors Guru Padmasambhava, the founder of Tibetan Buddhism, also known as Guru Rinpoche. Hemis Tsechu takes place at Hemis Monastery, the largest and wealthiest monastery in Ladakh. It’s a spectacular event that brings together monks, locals, and visitors from across the world, making it a major highlight in Ladakh’s cultural calendar.

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