वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (Vibrant Villages Programme) – भारत के सीमावर्ती गाँवों का समग्र विकास

Mohit Bangari
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भारत सरकार ने सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास के लिए वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (VVP) की शुरुआत की है। इस योजना का उद्देश्य भारत-चीन, भारत-नेपाल और भारत-पाकिस्तान जैसी अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के पास बसे गाँवों को विकसित करना है। यह योजना 2022-23 के केंद्रीय बजट में घोषित की गई थी।
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इस योजना के तहत सीमावर्ती गाँवों में सड़क, बिजली, इंटरनेट, पेयजल, स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यटन और स्वरोजगार जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। इसका मुख्य मकसद लोगों को गाँवों से पलायन करने से रोकना और देश की सीमाओं को सुरक्षित बनाना है।
योजना की घोषणा और वित्तीय जानकारी
- घोषणा: वर्ष 2022-23 के बजट में
- वित्तीय प्रावधान (फेज 1): ₹4800 करोड़ (वित्तीय वर्ष 2022-23 से 2025-26 तक)
- वित्तीय प्रावधान (फेज 2): ₹6839 करोड़ (वर्ष 2024-25 से 2028-29 तक)
- कुल चयनित गाँव (फेज 1): 662 सीमावर्ती गाँव
- लक्ष्य: सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों का जीवन स्तर सुधारना और उन्हें देश की मुख्यधारा से जोड़ना।
किन राज्यों को शामिल किया गया है?
वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के पहले चरण में इन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश को शामिल किया गया है:
1. अरुणाचल प्रदेश
2. सिक्किम
3. उत्तराखंड
4. हिमाचल प्रदेश
5. लद्दाख (केंद्र शासित प्रदेश)
उत्तराखंड में शामिल गाँव
उत्तराखंड राज्य के तीन ज़िलों – चमोली, उत्तरकाशी और पिथौरागढ़ – के सीमावर्ती गाँवों को इस योजना में शामिल किया गया है। इनमें से कुछ प्रमुख गाँव इस प्रकार हैं:
चमोली ज़िला:
- माणा
- नीती
- मलारी
- बमनी
- गमसाली
- भ्यूंडार
- गजकोटी
- बम्पा
- रेवालचाक कुरकुटी
- फरकिया
- जोशीमठ
- गूर्गुटी
पिथौरागढ़ ज़िला:
- गूंजी
- नावी
- कुटी
- सीपू
- रौंगकोंग
- बुरफू
- मीलम
- मर्तोली
- बेड़ा
- रालकोट
- टोलो
- पंचू
- सोंग
- तिदांग
- बगोरी
उत्तरकाशी ज़िला:
- खिमलिंग
- हर्षिल क्षेत्र के गाँव
- नेलांग घाटी
योजना के मुख्य उद्देश्य
- सीमावर्ती क्षेत्रों में अत्याधुनिक बुनियादी ढाँचा (सड़क, इंटरनेट, बिजली) विकसित करना।
- स्थानीय लोगों को रोज़गार के अवसर प्रदान करना – जैसे होमस्टे, कृषि, पशुपालन, हस्तशिल्प, लोककला, टूरिज़्म।
- लोगों को गाँव में रहने के लिए प्रेरित करना ताकि पलायन रुके।
- राष्ट्रीय सुरक्षा को सुदृढ़ बनाना।
- गाँवों को सांस्कृतिक रूप से मजबूत बनाना – मेले, उत्सव, ग्रामीण पर्यटन।
- सरकारी अधिकारियों और मंत्रियों की नियमित विज़िट सुनिश्चित करना।
क्या-क्या कार्य हो रहे हैं?
- ऑल वेदर रोड्स का निर्माण
- इंटरनेट और मोबाइल कनेक्टिविटी
- सोलर लाइट्स, सोलर वाटर हीटर
- स्कूल और हेल्थ सेंटर
- टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए हॉमस्टे स्कीम
- स्थानीय हस्तशिल्प और उत्पादों को बाज़ार से जोड़ना
- सीमावर्ती पर्यटन (Border Tourism) को बढ़ावा देना
योजना से लाभ मिलने वाले वर्ग
- सीमावर्ती गाँवों में रहने वाले नागरिक
- युवा जो स्वरोज़गार या स्टार्टअप करना चाहते हैं
- महिलाएं – स्वयं सहायता समूह
- किसान – कृषि, जैविक खेती, पशुपालन
- पर्यटक और एडवेंचर टूरिस्ट
दूसरे चरण (VVP-II) की घोषणा
2025 में केंद्र सरकार ने VVP का दूसरा चरण भी लॉन्च किया। इसमें पहले चरण में छूटे हुए सीमावर्ती गाँवों को शामिल किया गया है। उद्देश्य है 2047 तक ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य को पूरा करना।
निष्कर्ष
वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम एक देशभक्ति से प्रेरित ग्रामीण विकास योजना है। यह न केवल सीमावर्ती गाँवों को सुविधा संपन्न बनाएगी बल्कि देश की सुरक्षा और एकता को भी मजबूत करेगी। उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों के लिए यह योजना वरदान साबित हो रही है।
भारत के सीमावर्ती गाँव, जो अब तक उपेक्षित थे, अब वाइब्रेंट बन रहे हैं – और ये गाँव देश की मजबूती के प्रतीक बनेंगे।
By – Mohit Bangari
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