उत्तराखंड में स्थानों के नाम परिवर्तन: सांस्कृतिक पहचान की ओर एक कदम

Picture of Mohit Bangari

Mohit Bangari

Explore Himalaya With Me!!

Facebook
Email
WhatsApp
Twitter
LinkedIn
Tumblr
उत्तराखंड में स्थानों के नाम परिवर्तन: सांस्कृतिक पहचान की ओर एक कदम

           हाल ही में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश के कई स्थानों के नाम बदलने की घोषणा की है। यह फैसला प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत और जनभावनाओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। धामी जी का कहना है कि कई स्थानों के पुराने नाम आक्रांताओं या ऐसे लोगों से जुड़े थे जिन्होंने भारतीय संस्कृति और सभ्यता पर आक्रमण किया था। अब ऐसे स्थानों को उन महापुरुषों के नाम से जोड़ा जा रहा है जिन्होंने भारत की संस्कृति, आत्मसम्मान और गौरव को बढ़ाने में योगदान दिया।

Table of Contents

         उत्तराखंड सरकार ने अप्रैल 2025 में 15 स्थानों के नामों को बदलने का निर्णय लिया। इनमें से ज़्यादातर नाम उन मुग़ल या मुस्लिम शासकों से जुड़े थे जिनकी विरासत भारतीय जनमानस से मेल नहीं खाती। नए नाम भारत के ऐतिहासिक योद्धाओं, समाज सुधारकों और धार्मिक महापुरुषों के नाम पर रखे गए हैं।



नाम परिवर्तन की सूची और उनके पीछे की वजह

हरिद्वार ज़िला:

1. औरंगज़ेबपुर → शिवाजी नगर
क्यों बदला गया: औरंगज़ेब मुग़ल शासक थे जिन्होंने भारतीय संस्कृति पर आक्रमण किए। छत्रपति शिवाजी महाराज ने मुग़लों के खिलाफ संघर्ष किया और मराठा साम्राज्य की स्थापना की। उनके सम्मान में यह नाम परिवर्तन किया गया है।


2. गाजीवाली → आर्य नगर
क्यों बदला गया: “गाजी” शब्द आक्रांता को दर्शाता है। ‘आर्य’ शब्द भारतीय संस्कृति और सभ्यता का प्रतीक है, इसलिए यह नाम परिवर्तन किया गया है।


3. चांदपुर → ज्योतिबा फुले नगर
क्यों बदला गया: समाज सुधारक ज्योतिराव गोविंदराव फुले ने शिक्षा और सामाजिक सुधार में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके सम्मान में यह नाम रखा गया है।


4. मोहम्मदपुर जाट → मोहनपुर जाट
क्यों बदला गया: “मोहम्मदपुर” नाम को बदलकर “मोहनपुर” किया गया है, जो भगवान कृष्ण (मोहन) से संबंधित है, जिससे सांस्कृतिक पहचान बनी रहे।


5. खानपुर कुर्सली → अंबेडकर नगर
क्यों बदला गया: डॉ. भीमराव अंबेडकर भारतीय संविधान के निर्माता और सामाजिक न्याय के प्रतीक थे। उनके सम्मान में यह नाम परिवर्तन किया गया है।


6. इंद्रिशपुर → नंदपुर
क्यों बदला गया: नंद भगवान कृष्ण के पालक पिता थे। यह नाम कृष्ण परंपरा से जुड़ता है और सांस्कृतिक महत्व रखता है।


7. खानपुर → श्री कृष्ण पुर
क्यों बदला गया: यह नाम भगवान श्रीकृष्ण के सम्मान में रखा गया है, जो भारतीय संस्कृति के प्रमुख देवता हैं।


8. अकबरपुर फज़लपुर → विजय नगर
क्यों बदला गया: अकबरपुर का नाम मुग़ल शासक अकबर से जुड़ा था। ‘विजय नगर’ नाम भारतीय इतिहास के एक समृद्ध और शक्तिशाली साम्राज्य की याद दिलाता है, जो सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक है।



उत्तराखंड में स्थानों के नाम परिवर्तन: सांस्कृतिक पहचान की ओर एक कदम

देहरादून ज़िला:

1. मियांवाला → रामजी वाला
क्यों बदला गया: “मियां” शब्द मुस्लिम उपाधि को दर्शाता है। ‘रामजी वाला’ नाम भगवान राम से प्रेरित है, जो भारतीय आस्था के केंद्र में हैं।


2. पीरवाला (विकासनगर ब्लॉक) → केसरी नगर
क्यों बदला गया: ‘केसरी’ शब्द साहस और शौर्य का प्रतीक है, जो भारतीय परंपरा को दर्शाता है।


3. चांदपुर खुर्द → पृथ्वीराज नगर
क्यों बदला गया: यह नाम राजपूत योद्धा पृथ्वीराज चौहान के सम्मान में रखा गया है, जिन्होंने विदेशी आक्रमणकारियों से देश की रक्षा की।


4. अब्दुल्ला नगर → दक्ष नगर
क्यों बदला गया: दक्ष प्रजापति हिन्दू पुराणों में उल्लेखित एक प्रमुख पात्र हैं। यह नाम धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करता है।



नैनीताल ज़िला:

1. नवाबी रोड → अटल मार्ग
क्यों बदला गया: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के सम्मान में यह नाम परिवर्तन किया गया है, जिन्होंने भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण योगदान दिया।


2. पंचक्की से आईटीआई रोड → गुरु गोलवलकर मार्ग
क्यों बदला गया: गुरु माधव सदाशिव गोलवलकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के दूसरे सरसंघचालक थे। उन्होंने भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।


ऊधम सिंह नगर ज़िला:

1. सुल्तानपुर पट्टी → कौशल्या पुरी
क्यों बदला गया: सुल्तान नाम को हटाकर कौशल्या नाम दिया गया, जो भगवान राम की माता थीं। यह नाम भारतीय संस्कृति और नारी गरिमा का प्रतीक है।


नाम परिवर्तन का उद्देश्य और प्रभाव

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अनुसार, इन स्थानों के नाम परिवर्तन का मुख्य उद्देश्य जनभावनाओं का सम्मान करना और भारतीय संस्कृति एवं विरासत को संरक्षित करना है। यह कदम लोगों को अपने इतिहास और महान व्यक्तित्वों से जोड़ने में मदद करेगा, जिससे वे प्रेरणा ले सकें।


समर्थन और विरोध

इस निर्णय को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी, मनवीर सिंह चौहान ने इसे देश की विरासत और संस्कृति को बढ़ावा देने वाला कदम बताया है।


भारत के अन्य राज्यों में हुए नाम परिवर्तन

1. उत्तर प्रदेश

इलाहाबाद → प्रयागराज (2018)

संगम नगरी का ऐतिहासिक नाम वापस लाया गया। प्रयागराज तीन नदियों के संगम का पवित्र स्थल है।

मुगलसराय → दीन दयाल उपाध्याय नगर (2018)

जनसंघ के विचारक पंडित दीन दयाल उपाध्याय को श्रद्धांजलि।


2. महाराष्ट्र

औरंगाबाद → छत्रपति संभाजीनगर (2023)

औरंगज़ेब के नाम पर रखे गए शहर का नाम अब शिवाजी महाराज के पुत्र संभाजी महाराज के नाम पर रखा गया।


उस्मानाबाद → धाराशिव (2023)

धाराशिव गुफाओं और स्थानीय इतिहास से जुड़ा नाम।


3. मध्य प्रदेश

हबीबगंज रेलवे स्टेशन → रानी कमलापति स्टेशन (2021)

गोंड रानी कमलापति के नाम पर रखा गया, जिन्होंने जल प्रबंधन और शासन में योगदान दिया।


4. गुजरात

अहमदाबाद को कर्णावती नाम देने की मांग

यह अभी स्वीकृत नहीं हुआ, लेकिन स्थानीय संगठन लंबे समय से इसकी मांग कर रहे हैं।



नाम बदलने की ज़रूरत क्यों?

1. सांस्कृतिक पहचान की वापसी:

भारत पर लंबे समय तक विदेशी आक्रमणकारियों का शासन रहा। इन शासकों ने जगहों के नाम बदलकर अपनी छाप छोड़ी। अब भारत अपनी प्राचीन पहचान को पुनः स्थापित करना चाहता है।


2. महापुरुषों का सम्मान:

छत्रपति शिवाजी, अंबेडकर, रामजी, श्रीकृष्ण, अटल बिहारी जैसे नाम लोगों को प्रेरणा देते हैं।


3. जन भावनाओं का आदर:

कई बार स्थानों के नाम स्थानीय लोगों की धार्मिक, सांस्कृतिक भावनाओं को ठेस पहुंचाते हैं। नया नाम उस भावनात्मक जुड़ाव को मज़बूत करता है।



निष्कर्ष

उत्तराखंड में हुए नाम परिवर्तन केवल प्रशासनिक नहीं हैं, ये हमारी सांस्कृतिक सोच, ऐतिहासिक विरासत और राष्ट्रीय आत्म-सम्मान से जुड़ी एक कोशिश है। यह कदम उन महान लोगों को सम्मान देने की कोशिश है जिन्होंने भारत की पहचान को सुरक्षित रखा। हालांकि इसके साथ संवाद और सहमति की भी ज़रूरत है, ताकि बदलाव केवल ऊपर से थोपा न जाए बल्कि सभी लोग गर्व से उसे स्वीकार करें।



By – Mohit Bangari

If you want explore cultural aspect of Uttarakhand, you can read my article on famous festival of Uttarakhand.

Facebook
Email
WhatsApp
Twitter
LinkedIn
Tumblr

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Post

Picture of Mohit Bangari

Mohit Bangari

Explore Himalaya With Me!!

Scroll to Top